बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसको लेकर सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुट गए हैं. चुनाव के मद्देनजर बुधवार (25 जून) से सूबे में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान शुरू किया जाएगा. भारत निर्वाचन आयोग ने इसको लेकर निर्देश जारी किया है, जिसके तहत अयोग्य नामों को हटाते हुए सभी पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल किया जा सकेगा. गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान बूथ स्तर के अधिकारी घर-घर जाकर सर्वेक्षण करेंगे.

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी कैलेंडर के अनुसार 25 जून से अगले महीने की 26 जुलाई तक बीएलओ (BLO) घरों में जाकर मतदाताओं का नाम जोड़ने, हटाने या संशोधित किए जाने से संबंधित आवेदन पत्रों को स्वीकार करेंगे. अगस्त में इसके आधार पर वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट प्रकाशित होगा. उसके बाद 1 अगस्त से 1 सिंतबर तक दावा-आपत्तियां ली जाएंगी. इनका निपटाना करने के बाद 30 सितंबर को आखिरी वोटर लिस्ट प्रकाशित की जाएगी.

चुनाव आयोग का कैलेंडर

25 जून से 27 जुलाई तक- बीएलओ को वोटर लिस्ट उपलब्ध कराई जाएगी. इसके आधार पर बीएलओ घर-घर जाकर नए नाम जोड़ने, हटाने, संशोधित करने संबंधित आवेदन स्वीकार करेंगे. इस दौरान 1200 मतदाताओं के आधार पर मतदान केंद्रों का पुनर्निर्धारण भी सुनिश्चित कर लिया जाएगा. 27 जुलाई से 31 जुलाई तक – प्राप्त हुए फॉर्म के आधार पर वोटर लिस्ट का अपडेशन किया जाएगा. 1 अगस्त 2025- ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित की जाएगी. 1 अगस्त से 1 सितंबर तक – ड्राफ्ट वोटर लिस्ट के आधार पर दावा-आपत्तियां ली जाएंगी. 25 सितंबर तक- निर्वाची निबंधक पदाधिकारियों के द्वारा दावा-आपत्तियों का निष्पादन किया जाएगा. 27 सितंबर तक- केंद्रीय निर्वाचन आयोग से अंतिम प्रकाशन की अनुमति ली जाएगा. 30 सितंबर- वोटर लिस्ट का अंतिम प्रकाशन होगा.

गहन पुनरीक्षण अभियान का मकसद

निर्वाचन आयोग के मुताबिक मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान का मकसद ये सुनिश्चित करना है कि सभी पात्र नागरिकों के नाम वोटर लिस्ट में शामिल हो ता कि वो अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकें. साथ ही कोई भी अपात्र शख्स वोटर लिस्ट में शामिल न साथ ही लिस्ट में नाम जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी रहे. निर्वाचन आयोग पर बीजेपी की मदद के लिए मतदाताओं के आंकड़ों में हेराफेरी करने के आरोपों के बीच इस प्रक्रिया से मतदाता सूची में मतदाताओं के नाम जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता आएगी.

बिहार में अंतिम गहनपुनरीक्षण2003 में किया गया था. निर्वाचन आयोग का कहना है कि तेजी से हो रहे शहरीकरण, लगातार पलायन, युवाओं का मतदान के लिए पात्र होना, मौत हो जाने वाले व्यक्तियों की सूचना न देना और घुसपैठियों के नाम सूची में शामिल होने जैसे कई कारणों से मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण की जरूरत है.